The smart Trick of कोकिला-व्रत-कथा That No One is Discussing

शिवजी की पूजा में सफेद और लाल पुष्‍प के अलावा बेलपत्र, भांग, धतूरा, दूर्वा, अष्‍टगंध, धूप और दीपक रखें। इन सभी वस्‍तुओं से पूजा करने के बाद व्रत का संकल्‍प लें। आप चाहें तो निराहार व्रत रहें और समार्थ्‍य नहीं है तो फलाहार करके भी व्रत रहा जा सकता है।

पूजा के दौरान भगवान शिव को सफेद फूल और माता सती को लाल फूल अवश्य चढ़ाएं।

आप चाहें तो निराहार रहकर इस व्रत को कर सकते हैं। अगर समर्थ नहीं हो तो आप एक समय फलाहार कर सकते हैं।

इस व्रत में अन्न का सेवन नहीं किया जाता है।

महाप्रभु जगन्नाथ को कलियुग का भगवान भी कहते है. पुरी (उड़ीसा) में जग्गनाथ स्वामी अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलराम के साथ निवास करते है.

उसके बाद माता पार्वती और शिवजी की पूजा करें। शिवजी का दूध और गंगाजल से अभिषेक करें।

विधि-विधान से भगवान भोलेनाथ को भांग, धतूरा, बेलपत्र, और फल अर्पित करें।

देवी सती का जन्म राजा दक्ष की बेटी के रुप में होता है। राजा दक्ष को भगवान शिव अत्यधिक अप्रिय थे। राजा दक्ष एक बार यज्ञ का आयोजन करते हैं। इस यज्ञ में वह सभी लोगों को आमंत्रित करते हैं ब्रह्मा, विष्णु व सभी देवी देवताओं को आमंत्रण मिलता है किंतु भगवान शिव को नहीं बुलाया जाता है।

यह व्रत भौम दोष से मुक्ति दिलाने में भी सहायक होता है, जो विवाह में बाधा डालता है।

मंदिर जाकर भगवान शिव का गंगाजल और पंचामृत से अभिषेक करें।

पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें।

भगवान शिव की पूजा के लिए सफेद, लाल फूल, बेलपत्र, भांग, धतूरा, दूर्वा, दीपक, धूप और अष्टगंध का इस्तेमाल जरूर करें।

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